भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

वर्ष 1937 में किसान आंदोलन का एक नया दौर शुरू हुआ। वर्ष 1937 से 39 तक किसान आंदोलन के उत्कर्ष के वर्ष थे। किसानों में जागरूकता पैदा करने का मुख्य माध्यम था थाना, तालुका, जिला और प्रांत के स्तर पर किसान सभाएं या सम्मेलन आयोजित करना। वर्ष 1938 में पटना में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें लगभग एक लाख किसानों ने हिस्सा लिया।

भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी
भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

देश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के करीब तीन साल बाद एक बार फिर से यूपी से लेकर पंजाब-हरियाणा के किसानों ने ’13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद किया है। संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में कानून बनाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने का ऐलान किया है। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

 

200 किसान यूनियन का समर्थन 

इस आंदोलन को देश के 200 से अधिक किसान यूनियनों का समर्थन हासिल है। किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की भी मांग कर रहे हैं। यह उन शर्तों में से एक है जो किसानों ने तब निर्धारित की थी जब वे 2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे।

 

किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में धारा 144 लागू

किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद आखिरकार इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया था। किसानों के फिर से प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र ने किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है। दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को अवरुद्ध करने के कदम उठा रही है। साथ ही राजधानी में धारा 144 लागू कर दिया गया है। हरियाणा और दिल्ली में कई स्थानों पर कंक्रीट के बैरिकेड, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक और कंटीले तार लगाकर पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है। इसके अलावा निषेधाज्ञा लागू की गई है और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा चुका है।भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

 

प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत को तैयार सरकार

हरियाणा सरकार ने शांति भंग होने की आशंका के चलते 11 से 13 फरवरी तक सात जिलों – अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और एक साथ कई एसएमएस (संदेश) भेजने पर रोक लगा दी है। तीन केंद्रीय मंत्री – पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय – संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने के लिए 12 फरवरी को चंडीगढ़ पहुंचेंगे। राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। इसमें पुलिस को प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी प्रयास करने का निर्देश दिया गया। 2020-21 के किसानों के आंदोलन स्थलों में से एक, गाजीपुर बॉर्डर पर भी अवरोधक लगाए गए हैं और पुलिस की जांच तेज कर दी गई है। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

इतिहास में हुए किसान आंदोलनों पर एक नजर

देश में 1858 से 1914 के बीच आंदोलन स्थानीय स्तर पर सीमित रहे, जिनका मुख्य कारण किसानों पर अत्याचार, भारतीय उद्योगों पर ब्रिटिश नीतियों का दुष्प्रभाव और अन्यायपूर्ण आर्थिक नीतियां थीं। किसानों को मनमाना लगान, अवैध टैक्स और बंधुआ मजदूरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके विरोध में किसानों ने वक्त-वक्त पर आंदोलन किए। इसी क्रम में 1920 से 1940 के बीच कई किसान संगठनों की स्थापना हुई, जिनमें बिहार प्रांतीय किसान सभा और अखिल भारतीय किसान सभा प्रमुख थे। इन संगठनों ने जमींदारी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

1858 से 1947 के बीच भारत में किसान आंदोलन

1858 और 1947 के बीच भारत में किसान आंदोलनों ने कई चरणों में विकास किया। 1914 से पहले ये आंदोलन लोकलाइज्ड, असंबद्ध और विशेष शिकायतों तक सीमित थे। 1914 के बाद गांधीजी के नेतृत्व में आंदोलन राष्ट्रवादी चरण में प्रवेश कर गए।भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

1914 से पहले के आंदोलन :

नील विद्रोह (1859-62): बंगाल में नील की खेती करने वाले किसानों ने यूरोपीय बागान मालिकों के शोषण के खिलाफ विद्रोह किया। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

पाबना आंदोलन (1870-80): पूर्वी बंगाल में जमींदारों ने लगान और टैक्स बढ़ाए तो किसानों ने आंदोलन किया।

दक्कन विद्रोह (1875): दक्कन के किसानों ने मारवाड़ी और गुजराती साहूकारों के शोषण के खिलाफ विद्रोह किया।

1914 के बाद के आंदोलन:

चंपारण सत्याग्रह (1917): बिहार के चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में जमींदारों के शोषण के खिलाफ आंदोलन किया।

खेड़ा सत्याग्रह (1918): गुजरात के खेड़ा में किसानों ने सूखे के बावजूद भू-राजस्व माफ करने से सरकार के इनकार के खिलाफ आंदोलन किया।

बारदोली सत्याग्रह (1928): गुजरात के बारदोली में किसानों ने लैंड रेवेन्यू बढ़ाने के खिलाफ सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में आंदोलन।

किसान आंदोलन से जुड़े सवालों के जवाब

 

किसान फिर क्यों दिल्ली में प्रदर्शन करने आ रहे हैं?

किसान अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग को लेकर 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ मार्च के आह्वान पर आ रहे हैं।

दिल्ली में कहां-कहां से किसान विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे?

‘दिल्ली चलो’ मार्च में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और अन्य संभावित क्षेत्रों से भी किसानों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

कहां-कहां रूट हुआ है डायवर्ट

पंजाब- हरियाणा से किसानों के 13 फरवरी के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद रविवार को पुलिस ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे का रूट डायवर्ट कर दिया है। अंबाला और पंजाब की तरफ से आने वाले रास्तों पर ट्रैफिक बंद रहेगा। दिल्ली से चंडीगढ़ जाना चाहते हैं तो अलग रूट तैयार किया गया है। अगर अमृतसर जाना है या फिर चंडीगढ़ से आना है तो अलग रूट प्लान तैयार किया गया है। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी 

दिल्ली में किस-किस बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है?

दिल्ली में सिंघु बॉर्डर के साथ ही गाजीपुर बॉर्डर, लोनी बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर, रजोकरी बॉर्डर, कापसहेड़ा बॉर्डर और कालिंदी कुंज-डीएनडी-नोएडा बॉर्डर पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

कॉमर्शियल वाहनों पर कहां रोक लगी हुई है?

सिंघु बॉर्डर पर सोमवार से ही कर्मशल व्हीकल्स की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। मंगलवार को बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा।

दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे किसान 6 महीने का राशन-पानी लेकर आ रहे हैं। किसानों को मनाने के लिए सरकार ने अपने स्तर से तैयारी तेज कर दी है। सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने मोर्चा संभाल रखा है। किसानों के यूनियन से बातचीत की जा रही है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने सभी सीमाओं को पूरी तरह सील कर दिया है।भारत में किसान आंदोलन की पूरी जानकारी

                                                  किसान की आवाज़ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Explore More

Aaj ka sone ka bhav | आज का सोने का भाव

5 April 2024 0 Comments 0 tags

Aaj ka sone ka bhav नमस्कार दोस्तों आप सभी का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | क्या आप जानते हैं की सोना चांदी का भाव sone ka bhav

Betul mandi bhav today | बेतुल मंडी का ताज़ा भाव

Betul Mandi Bhav 22 May
26 April 2024 0 Comments 0 tags

नमस्कार किसान साथियों आज की इस पोस्ट में आप सभी का स्वागत है | दोस्तों क्या आप जानते हैं की आज का बैतूल मंडी भाव क्या है Betul mandi bhav

Merta Mandi Bhav Today 31 May | मेड़ता का ताज़ा मंडी भाव

31 May 2024 0 Comments 0 tags

नमस्कार किसान साथियों आज की इस पोस्ट Merta Mandi Bhav Today 31 May में आप सभी का स्वागत है | क्या आप जानते हैं की हरदा मंडी भाव आज का