दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपका स्वागत हैं आज हम आपके लिए कुछ नया ले के आए हैं आज हम आपको बतायेंगे कि चमेली की खेती में मुनाफ़ा ही मुनाफ़ा कैसे कमा सकते हैं चमेली की खेती से आप अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
चमेली की खेती। चमेली को फूलों की रानी होती है और इसे ‘सुगंध की रानी’ के तौर पर भी रानी माना जाता है. कहते हैं कि चमेली या जिसे इंग्लिश में जैस्मीन कहते हैं, उसकी खुशबू मन को शांति और ताजगी प्रदान करती है. वहीं इस फूल का भारत में धार्मिक महत्व भी है. इस फूल के पौधे को भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसलिए इसे हमारे देश में अधिक महतवपूर्ण माना जाता हैं
चमेली की खेती
300 रुपये से 500 रुपये किलो तक कीमत
चमेली की खेती को किसानी के विशेषज्ञ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल के तौर पर मानते हैं. इस फूल का पौधा 12 से 18 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। इसके पत्ते दो से तीन इंच तक लंबे होते हैं और इसका तना पतला होता है. चमेली के फूल सफेद होते हैं। और काफी खूबसूरत नजर आते हैं।
मार्च से लेकर जून के महीने में इस पौधे में फूल आते हैं. चमेली के फूल का ज़्यादा प्रयोग माला, सजावट और भगवान की पूजा में होता है। इस पौधे को आप जून से नवंबर के महीने के बीच में लगा सकते हैं। इन फूलों का न्यूनतम मूल्य 300 रुपये किलो है. जबकि शादी या त्योहारों के समय ये फूल 500 रुपये किलो तक बिकते हैं।
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कैसे जलवायु में होती खेती
इस फूल की खूशबू की वजह से इसे परफ्यूम और साबुन के अलावा क्रीम, तेल, शैम्पू और डिटर्जेंट पाउडर में फ्रेगरेंस के लिए किया जाता है। भारत में पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और हरियाणा में इसकी खेती की जाती है।
जबकि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार, यूपी महाराष्ट्र ,गुजरात जैसे राज्यों में नई किस्मों से अच्छी कमाई की जा सकती है। चमेली की खेती के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु को सबसे अच्छा जाता है। वहीं इसकी कुछ किस्में ठंड वाली जलवायु में भी आसानी से उगाई जा सकती हैं। पौधे को बढ़ने के लिए 24 सेंटीग्रेट से 32सेंटीग्रेट तापमान को सबसे उपयुक्त रहता हैं।
पौधे को खरपतवार से बचाएं
चमेली की फसल को खरपतवार से अधिक खतरा रहता है. इसके साथ ही खेती की लागत व मुनाफ़ा भी बढ़ जाती है. इनकी रोकथाम के जरूरी है कि समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहे. पौधे के आसपास जब कभी भी खरपतवार दिखाई दें, उन्हें तुरंत किसी कपड़े से डक दे या निकाल दें. पौधे के चारों तरफ 35 सेमी जगह छोड़कर फावड़े से खुदाई करें. साल में कम-से-कम तीन से चार खुदाई करना बहुत जरूरी है इससे पौधों की वृद्धि अच्छी होती है।
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सिंचाई कैसे करें
चमेली के पौधों को नियमित तौर पर पानी देना चाहिए।गर्मी के मौसम में हफ्ते में कम से कम दो से तीन बार सिंचाई करें और संतुलित मौसम में हफ्ते में एक या दो बार सिंचाईं काफी है। मौसम और भूमि के अनुसार ही इसकी सिंचाई जरूरी है।
चमेली का पौधा लगाने के करीब 10 से 12 महीने बाद फूल आने लगते हैं। कुछ क़िस्में ऐसे भी होती हैं। फूल पूरे साल उपलब्ध रहते हैं। अधिकांश जातियों में फूल आने का समय मार्च से अक्टूबर तक रहता है। फूल सुबह सूरज निकलने से पहले ही तोड़ लिए जाएं तो काफी अच्छा रहता है, इससे उनकी खुशबु बनी रहती है.
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