इस सीजन में देश के अधिकांश हिस्सों में धान के अलावा बड़े पैमाने पर मक्के की खेती की जाती है। इस सीजन में मक्के की खेती करने से किसानों को यह फायदा होता है कि फसल को सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। और अच्छी उपज भी देती है। मक्के की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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मक्के की खेती
गर्मियों का मौसम खत्म होते ही किसान देश में खरीफ फसलों की खेती की तैयारी शुरू कर देंगे। देश में इस सीजन में ही सबसे अधिक खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है। इस सीजन में किसान खास तौर पर धान और मक्के की खेती करते हैं। मक्के की खेती तो ऐसे सभी मौसम में कुछ इलाकों में की जाती है।
पर खरीफ सीजन में सबसे अधिक मक्के की खेती की जाती है। इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं क्योंकि मक्के की मांग खाद्य के अलावा पशु चारा के लिए भी अधिक होती है। इससे किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलती है। ऐसे में किसानों को यह जानना चाहिए वो इस सीजन में किन किस्मों की खेती करें जिससे उन्हें अधिक पैदावार हासिल हो सके।
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इस पोस्ट में हम आपको मक्के की पांच ऐसी किस्मों बताएंगे। इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है मकई की हाइब्रिड किस्म पार्वती की। इस किस्म की खासियत यह है कि किसान इसकी खेती अगेती और पछेती दोनों समय कर सकते हैं। मकई की इस प्रजाति को तैयार होने में 80-90 दिनों का समय लगता है।
इस किस्म से अच्छी पैदावार भी किसान हासिल कर सकते हैं। किसान इससे 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हासिल कर सकते हैं। मक्के की यह किस्म राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के किसानों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
मौसम की मार का नहीं होता असर
इस क्रम में मक्के की दूसरी किस्म है गंगा-5 मकई की इस प्रजाति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके पौधे काफी मजबूत होती है और इसपर मौसम की मार का असर कम पड़ता है। इसके दाने पीले रंग के होते हैं। गंगा-5 किस्म के मकई की अगर सही समय से बुवाई की जाती है इससे 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार हासिल कर सकते हैं कम सिंचाई में भी इसका उत्पादन अच्छा होता है। मकई की यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,राजस्थान और हरियाणा के किसानों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
डबल उपज देने वाली क़िस्म
खरीफ मौसम में अच्छी उपज देने वाली तीसरी प्रजाति है शक्तिमान। यह किस्म अपने डबल उत्पादन के लिए जानी जाती है। इस किस्म की खेती करने से किसान 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पेदवार ले सकते हैं। अधिक उपज देने वाली मक्के की यह किस्म 90-110 दिनों में तैयार हो जाती है। मक्के की इस किस्म की खेती खास तौर पर मध्य प्रदेश औऱ राजस्थान में की जाती है।
कम समय में ज़्यादा उपज देने वाली क़िस्म
मक्के की यह चौथी किस्म कम समय में उपज देती है। पूसा हाइब्रिड नाम की यह किस्म कम समय में ही पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल तक की पैदावार हासिल कर सकते हैं। मकई की इस किस्म की खेती मुख्य तौर पर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में की जाती है। किसान इसकी खेती करना खूब पसंद करते हैं।
मक्के की सबसे अच्छी क़िस्म
मकई की यह पांचवी बेहतरीन किस्म है इसका नाम शक्ति-1 है। मकई कि यह किस्म खाने में बेहद स्वादिस्ट होती है इसलिए लोग इसे खूब पसंद करते हैं। इस किस्म की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 55-60 हेक्टेयर तक पैदावार हासिल कर सकते हैं। इस किस्म की खासियत यह है कि यह स्वाद के साथ पौष्टिक भी होता है।